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दरेंदिकी की गई है, डॉक्टर तिलोटमा के पेरेंज को तीन गंडे तक बिठा के रखा गया और उन्हें अपनी बेटी को देखने तक नहीं दिया जा रहा था।
तीन गंडे तक खड़े रहने के बाद माबाब हाँच जोडते रहे हैं, हमारी बच्ची का मुँह एक बार दिखाओ, हमको नहीं दिखाया गया।
रही बाद सेविनार हॉल में रात में केले रुकने की, तो डौक्टर तिलोटमा एक सेकंड एर पोस्ग्रैज़विट ट्रेइनी थी, जो चेस्ट मेडिसिन से M.D. पर्स्यू कर रही थी, और वो उस रात 36 घंटे की आउनकॉल ड्यूटी करके लौटी थी.
इतनी लंभी ड्यूटी करने के बाद रेस्ट करने के लिए, वो उस रात सेविनार हॉल में सोने के लिए गई थी, क्योंकि इतने बड़े हॉस्पिटल में ना वहां डौक्टर से नर्सिस के लिए कोई चेंजिंग भूम है और ना ही कोई रेस्ट भूम है. ऐसे वें, ड
पूलकाता से, लेकिन आज पूरे देश के डौक्टर्स इस प्रोटेस्ट में साथ खड़े हो गए हैं, क्योंकि सभी को इस केस की इंविस्टिगेशन में हुए खुला से उस स्क्रिप्ट की तरह नजर आ रहे हैं, जिसमें एक बहुत बड़ी साजिष को चुपाने के लि�